Sunday, March 31, 2013

माँ ने कभी छुट्टी नहीं ली













मेरे जन्म से अब तक के वर्षो में,
एक वर्ष और जोड़ लू तो कम से कम इतने साल तो हो ही गए होंगे,
माँ को खाना पकाते,
सुबह शाम / हर एक दिन / महीना  / साल दर साल,
अनवरत,
रात का कोई भी पहर हो माँ ने हमेशा ही परोसी हैं ताज़ी सिंकी गरम रोटियाँ,
दौड़ते दौड़ते,
बिन थके / रुके बिना.

और संदेह हैं मुझे ,
शादी से पहले भी
एक बेटी होना गर बचा पाया होगा ,
माँ को
मशीन बन जाने से
फर्क क्या पड़ता हैं फिर भी
माँ नहीं तो , उनकी माँ ही सही
चूल्हे में आग झोंकी या खुद को झोंका
थाली में खुद को ही तो परोसती आई हैं माएं.

माँ  'Housewife' ही रही ताउम्र,
और सालती रही हमेशा
घरकी कमाई में चार पैसे न जोड़ पाने का अपराधबोध
चार पैसे जिनसे वो खरीद सकती
मेरे लिए
Bournvita,
आवले का मुरब्बा ,
और एक अदद क्रिकेट  बैट,
जिसके न दिए जाने पर मैं सोचता रहा की माँ कही कोई जॉब क्यूँ नहीं कर लेती ?

माँ कभी बीमार नहीं पड़ी,
माँ बीमार पड़ना  'Afford'  ही नहीं कर सकती थी ,
या फिर माँ ने ही शायद चुना था , कभी भी बीमार न होना ,
'Sick leave' शायद नौकरीपेशा ही मांग सकते हैं,
बकौल दुनिया,  माँ हमेशा घर पर ही तो रहती हैं .

मेरी माँ ने कभी छुट्टी नहीं ली......