Sunday, October 25, 2009

नाम













मेरे बच्चे
जो नाम मैं दे रहा हूँ तुम्हे
उसे माथे पर कील सा ठोक लेना तुम
ओढ़ लेना बदन पर खाल की तरह
अस्तित्व से चिपकने के लिए.

ढलती दोपहरों की परछाई सा  पीछे नहीं चलेगा यह नाम
तुम्हारे
पहुँचने से पहले ही सावधान कर देगा लोगो को
सुविधानुसार मुखौटे पहनने  के लिए.

इसकी उपयोगिता
अर्थ , परिभाषा या लिंग से साबित नहीं होगी
और न ही महत्ता को कोई बल मिलेगा 
सिर्फ इसके पर्यावाची या उपमानों से,

इसका धर्म 
मिटटी  देगा जीवन को पुष्पित पल्लवित होने  के लिए 
और  जाति से
जल और खाद  मिलेगा कर्मो को.

2 comments:

  1. कविता में जिस गहराई और समझ की आवश्यकता होती है . वह मुझे कूट कूट कर भरी मिलती है आपकी कविताओं में. निसंदेह कविता जिस उद्देश्य से लिखी जानी चाहिए, आप सदैव उसमें माहिर रहे हैं.

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