Thursday, June 24, 2021

अकेलेपन में 

मेरे अकेलेपन में समय की इकाई अब मिनटों में नहीं होती,

बल्कि इस बात से की मैं कितनी बार फ़ोन में तुम्हारे आखिरी मैसेज को देखता हूँ, 

तुम्हारा आखिरी मैसेज हमारे अंतिम संवाद का पूर्णविराम,

समय वही थम गया था उस पल,

अब वह उल्टे क्रम में चलता हैं, 

अंतिम संवाद से पूर्वोत्तर,

हमारे बिखरने से पहले, 

पहचान के पहले दिन की ओर, 

अंत से प्रारंभ की दिशा में। 


मैं अपने अकेलेपन में प्रत्येक उस दृश्य को नकार देता हूँ जिसमें तुम उपस्तिथ नहीं हो, 

मैं अब स्वयं के एक होने पर प्रश्न करने लगा हूँ, 

इसके स्पस्टीकरण के लिए जब मैं आईने में देखता हूँ तो तुम्हे पाता हूँ,

अब आइना मुझे तुमसे जोड़ देता हैं,

मेरे अस्तित्व की पूर्णता ऐसे ही होनी थी,

तुमसे एकात्म का बोध ही मेरे प्रेम की परिणीति हैं। 

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