Sunday, June 29, 2014

चुनाव










इस बार कुछ ऐसा हो कि
पहाड़ चुन ले न रोकना मौनसूनी हवाओ को
या बादल चुने सिर्फ गरजना
बारिशें बरसना चाहे तो सिर्फ महासागरो पर
और नदिया मिल एक बहे सभी
या अस्वीकृत कर दे बंधना
खेतों में उगे तो सिर्फ कोयला
या बीज अंकुरित ही न हो
मिट्टी सब रेत बन जाना चाहे
और जंगल निर्धारित कर ले अपनी सत्ता 

और तुम ? 
 
तुमने चुना हैं विकास
चयनित ?

तुमने चुना हैं उत्पादन
शोषित ?

तुमने चुना हैं मुनाफा
दोहित ?

तुमने चुना हैं निर्माण
विस्थापित ? 

यह जान लो
चुनने का निर्णय निरपेक्ष कभी नहीं हो सकता

 

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